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Wednesday, September 27, 2017

13 साल पहले आज ही के दिन हरसूद शहर का मिट गया था नामोनिशान

13 साल पहले आज ही के दिन हरसूद शहर का मिट गया था नामोनिशान



देश को रोशन करने में योगदान देने के लिए मध्यप्रदेश के इस शहर का नामोनिशान मिट गया. 13 साल पहले आज ही के दिन खंडवा जिले के इस शहर और आसपास के 250 गांवों को एशिया का सबसे बड़े बांध इंदिरा सागर डेम बनाने के नाम पर कुर्बान कर दिया गया.












लेकिन आज भी यहां के बाशिंदे अपना हक पाने के लिए तरस रहे हैं.









हम बात कर रहे हैं हरसूद और उसके विस्थापितों की.










हरसूद एक ऐसा शहर जिसकी आज से तेरह साल पहले 2004 में मौत हो गई.









लेकिन हरसूद और आसपास के 250 गांव के करीब सवा लाख लोगों ने जो त्याग किया उसका परिणाम इन्हें आज तक नहीं मिला. 









हरसूद के विस्थापितों ने देश को पर्याप्त बिजली दिलाने के लिए अपनी जमीन,









घर और कारोबार कुर्बान कर दिए. हरसूद में करीब 5600 परिवारों का विस्थापन हुआ. 











लेकिन जब नया शहर छनेरा बसाया गया, तब इसमें हजार लोग भी बमुश्किल बस पाए.








सभी को रोजी-रोटी के लिए अपना पैतृक स्थान छोड़ अन्य स्थानों पर रोजगार की व्यवस्था करनी पड़ी. लोगों का आरोप है की कईयों को कम मुआवजा मिलने के कारण कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.








कुर्बानी देने वालों को इतने वर्षों बाद एक दर्द यह भी है कि इसी इंदिरा सागर बांध के बैक वाटर पर हनुवंतिया टापू बसाया गया है. यहां करोड़ों रुपए खर्च कर जल महोत्सव मनाया जाता है. लेकिन उन्हें आज तक कोई सुविधा नसीब नहीं हुई है.



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