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Saturday, September 30, 2017

‘अच्छा, तो हम चलते हैं...’, कहने की तैयारी में रावण

‘अच्छा, तो हम चलते हैं...’, कहने की तैयारी में रावण


पुर रावण के पुतले को अंतिम रूप देते कलाकार।


सड़क के दोनों किनारे कतारबद्ध तरीके से रखे रावण के विशालकाय सिर और पुतलों को देखकर इस पतली सी गली को ‘दानव गली’ कहना बेहतर हो सकता है, जहां रावण के पुतलों का साम्राज्य फैला है। खास बात यह है कि यहां के रावणों की भारी मांग भी रहती है।













स्वागत है आप सभी का पश्चिम दिल्ली के तितारपुर इलाके में, जहां पांच फुट से लेकर 50 फुट लंबे रावण खड़े मिल सकते हैं। चमकीले आवरण में लिपटे बांस की कमचियों से बने इन ढांचों को ऑर्डर पर तैयार किया जाता है। इमें से कई भेजे जाने की तैयारी में हैं तो कई खरीददार इंतजार में खड़े हैं।









यहां सिर्फ रावण के पुतले नहीं हैं


टैगोर गार्डन और सुभाष नगर के बीच की सड़क पर खड़ी रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद की तिकड़ी को यहां सजाया जाता है और दशहरा के अवसर पर दहन के लिये मांग के अनुरूप इन्हें देश भर में भेजा जाता है। हर साल की तरह इस साल भी वहां बनी कई अस्थायी दुकानों में से एक ‘सुभाष और कौशल रावणवाले’ के सतीश कुमार ने बताया, ‘‘रावण तो हमेशा से मांग में रहता है।’’











रंगीन टेप से दैत्य सम्राट के चेहरे पर अट्टहास की मुद्रा बनाने में व्यस्त रूस्तम गहलोत ने कहा, ‘‘रावण का पुतला खरीदने के लिये भारत में हमारा सबसे बड़ा बाजार है।









दशहरा के उत्सव पर पुतले खरीदने के लिये राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से लोग यहां आते हैं।’’ इन सड़कों पर रूस्तम के परिवार की तरह कई परिवार रहते हैं, जो पिछले दो दशक से पुतले बेच रहे हैं।










ऐसा रावण की डिमांड


आज दशहरा मनाया जाना है और इसे देखते हुए पुतला निर्माता विशेष रूप से निर्मित इन रावणों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। कुछ सिक्स पैक एब्स शरीर वाला दैत्य सम्राट चाहते हैं तो कुछ ‘‘नायक के समान गठीले बदन वाला’’ रावण चाहते हैं। कुल मिलाकर अधिकतर लोग चौड़ा सीना वाला रावण चाहते हैं।










रावण कुछ कुछ ‘‘बाहुबली’’ जैसा होना चाहिए


रूस्तम ने कहा कि हमें किसी ने यह नहीं बताया कि वास्तव में यह कितने इंच का होगा, लेकिन आम धारणा यही है कि रावण कुछ कुछ ‘‘बाहुबली’’ जैसा होना चाहिए। इन पुतलों की कीमत 600 रुपये से लेकर 50,000 रुपये के बीच हो सकती है। 












पुतला निर्माताओं की परेशानी


पुतला निर्माताओं के सामने इस साल कई परेशानियां आयी हैं जैसे कि पिछले हफ्ते ही बारिश के चलते उनका काफी काम बर्बाद हो गया, निकाय अधिकारियों की अतिक्रमण हटाओ मुहिम के कारण भी पुतला बनाने की सामग्री तो कहीं पूरे-पूरे पुतले को नुकसान पहुंचा।








'रामजी सब संभाल लेंगे!’


लेकिन इन कलाकारों ने तो जैसे जीवन में आगे बढ़ना सीखा है और उन्हें उम्मीद भी है पिछले साल की तरह ही इस त्यौहारी मौसम में भी उनकी कमाई अच्छी होगी।









सतीश पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं, ‘‘रामजी सब संभाल लेंगे!’’



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राजस्थान के अलावा अन्य प्रदेशों के मसालों की महकेगी खुशबू

 राजस्थान के अलावा अन्य प्रदेशों के मसालों की महकेगी खुशबू



जयपुर। जयपुर का बहुप्रतिक्षित सहकार मसाला मेला भवानी सिंह रोड स्थित नवजीवन सहकारी बाजार पर शुरू हुआ। 












मेला 19 मई तक चलेगा रजिस्ट्रार सहकारिता रामनिवास ने बुधवार को बताया कि मेले में प्रदेश के अलावा केरल, 









सांगली महाराष्ट्र, वारंगल तेलंगाना के मसालों के अलावा विशेष रूप से सिहोर मध्यप्रदेश के गेहूं जयपुर वासियों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 










मेले में कोटा उपभोक्ता भंडार द्वारा बूंदी का चावल, मिर्ची, हल्दी, रामगंज मंडी का धनिया के अलावा सौंफ एवं जीरा उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 









कॉनफैड प्रशासक डॉ. वीना प्रधान ने बताया कि कॉनफैड द्वारा पिसे हुए मसाले









(मिर्ची, धनिया, अमचूर, हल्दी एवं गरम मसाले) तथा साबूत मसाले (मिर्च, धनिया, हल्दी, जीरा, सौंफ एवं कलौंजी)








सहित अन्य मसालों से संबंधित सामान की बिक्री बाजार मूल्य से कम दामों पर की जा रही है।











प्रधान ने बताया कि मेले में तिलम 








संघ द्वारा तिलम ब्रांड के उत्पाद अलग अलग पैकिंग 








में उपभोक्ताओं की सुविधा के हिसाब से उपलब्ध कराए जा रहे हैं।



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चाय का स्वाद बढ़ाने के अलावा वजन कम करने में भी मददगार है इलायची

 चाय का स्वाद बढ़ाने के अलावा वजन कम करने में भी मददगार है इलायची


इलायची भारतीय घरों में मौजूद रहने वाला एक प्रमुख मसाला है जिसे गरम मसाला बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.












इसी के साथ चाय का स्वाद और खुशबू बढ़ाने में भी इलायची को खूब पसंद किया जाता है.









हाल ही में एक रिसर्च में पता चला है कि इलायची खाने से वजन कम होता है. 










अगर आप भी वजन की समस्या से परेशान हैं तो एक नजर इस नुस्खे पर जरूर डालें. 










कैसे कम करती है वजन? 

इलायची के फायदे के बारे में आयुर्वेद में भी काफी कुछ लिखा गया है.










इसके अनुसार हरी इलायची शरीर के पाचन तंत्र को साफ करने के अलावा शरीर की सूजन को कम करने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम भी करता है.









इलायची सिस्टोलिक और डायस्टोलिक को कम करने में सहायक है, इनसे ब्लड प्रेशर लेवल प्रभावित होता है.











क्या कहता है रिसर्च? 


रिसर्च के अनुसार अगर इलायची के पाउडर का सेवन किया जाए तो पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है








और इसके साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते.अगर आपको पेट में गैस और सूजन की समस्या है तो आज ही से इलायची का सेवन शुरु कर दें.







ऐसे करें इलायची को सेवन? 


इलायची को अगर आप चबाकर नहीं खा सकते तो इसे कॉफी या चाय में डाल कर पी सकते हैं. इलायची के दानों को पीस कर पाउडर बना लें और उसे दूध या खाने में प्रयोग करें. 



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पूजा में हर फूल का है अपना अलग महत्व, ऐसे करें इस्तेमाल तो बरसेगी प्रभु की कृपा

पूजा में हर फूल का है अपना अलग महत्व, ऐसे करें इस्तेमाल तो बरसेगी प्रभु की कृपा



फूल बहुत ही शुभ और पवित्र होते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सुंदरता और सुगंध से भरपूर फूलों के इस्तेमाल से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. जिस घर में फूल होते हैं, नकारात्मक ऊर्जा वहां के इर्द-गिर्द भी नहीं भटक पाती है.












फूलों के इस्तेमाल से आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ा सकते हैं. इसीलिए घर के आस-पास फुलवारी की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धार्मिक मान्यताओं में फूलों का प्रयोग पूजा और उपासना के लिए किया जाता है. मान्यता है कि इससे ईश्वर की कृपा बहुत जल्दी बरसती है. आइए जानते हैं उपासना में फूल क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण:









उपासना में फूलों का महत्व

 फूल इंसान की श्रद्धा और भावना का प्रतीक हैं.
 इसके साथ ही फूल इंसान की मानसिक स्थितियों के बारे में भी बताते हैं.
 फूलों के अलग-अलग रंग और सुगंध अलग तरह के प्रभाव पैदा करते हैं.
 पूजा में वास्तविक फूल भी अर्पित कर सकते हैं और मानसिक भी.

पूजन और जीवन में हर फूल का अपना अलग महत्व है. जानते हैं किस फूल के साथ कैसे भाव छिपे हैं : 









गेंदे के फूल का महत्व और प्रयोग विधि


फूलों में सबसे ज्यादा गेंदे के फूल का इस्तेमाल होता है. यह कई प्रकार का होता है, लेकिन पीले गेंदे का फूल सबसे ज्यादा उपयोगी और महत्वपूर्ण होता है.
गेंदा वास्तव में एक फूल नहीं बल्कि छोटे-छोटे फूलों का एक गुच्छा है.
गेंदे के फूल का सम्बन्ध बृहस्पति से होता है.
गेंदे के फूल के प्रयोग से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है.
गेंदे के फूल के प्रयोग से आकर्षण क्षमता बढ़ जाती है.
भगवान विष्णु को नियमित रूप से पीले गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं. इससे आपको संतान से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.









गुलाब के फूल का महत्व और प्रयोग विधि


गुलाब का फूल रिश्तों में प्यार बढ़ाने के लिए जाना जाता है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो गुलाब के फूल के प्रयोग से प्रेम, विवाह और धन-संपत्ति से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर की जा सकती हैं. जानते हैं इस अद्भुत फूल के चमत्कारों के बारे में:
गुलाब का फूल एक अदभुत और चमत्कारी फूल है.
रिश्तों पर सीधा असर डालता है गुलाब का फूल.
गुलाब के फूल की ढेर सारी किस्में हैं, लेकिन ज्योतिष और पूजा में लाल गुलाब का ही प्रयोग किया जाता है.
लाल गुलाब का संबंध मंगल से और इसकी खुशबू का संबंध शुक्र से है.
गुलाब के प्रयोग से प्रेम, आकर्षण, रिश्ते और आत्मविश्वास का वरदान मिलता है.
लक्ष्मी जी को नियमित गुलाब अर्पित करने से आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है.
गुलाब देने से रिश्ते मजबूत होते हैं. प्रेम और वैवाहिक जीवन भी सुखद हो जाता है.










कमल के फूल का महत्व और प्रयोग विधि


जीवन में शुभ के आगमन का प्रतीक है कमल का फूल. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो कलम का फूल देवी -देवताओं को प्रिय होता है. इस फूल के प्रयोग से आपकी कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. आइए जानते हैं कमल के फूल के प्रयोग से कैसे चमकेगा आपका भाग्य:
कमल का फूल शुद्ध रूप से दैवीय और आध्यात्मिक फूल माना जाता है.
सफेद रंग का कमल सबसे पवित्र और ऊर्जा में सर्वश्रेष्ठ होता है.
कमल का संबंध नौ ग्रहों और दुनिया की पूरी ऊर्जा से है.
कमल का फूल अर्पित करने का अर्थ ईश्वर के चरणों में स्वयं को अर्पित कर देने से है.
किसी भी एकादशी को कृष्ण जी को कमल के दो फूल अर्पित करें. ऐसा करने से आपकी संतान प्राप्ति की अभिलाषा पूरी होगी.
अगर 27 दिन तक रोज एक कमल का फूल लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाए तो अखंड राज्य सुख की प्राप्ति होती है.








गुड़हल के फूल का महत्व और प्रयोग विधि


देवी की उपासना का सबसे उत्तम फूल माना जाता है गुड़हल का फूल. इस फूल में दैवीय ही नहीं तमाम औषधिय गुण भी पाए जाते हैं. आइए जानते हैं गुड़हल के फूल के महत्व और उसकी प्रयोग विधि के बारे में जो आपकी तमाम समस्याओं का समाधान कर सकता है:

गुड़हल का फूल बहुत ऊर्जावान माना जाता है.

 देवी और सूर्य देकी उपासना में इसका विशेष प्रयोग होता है.

 नियमित रूप से देवी को गुड़हल अर्पित करने से शत्रु और विरोधियों से राहत मिलती है.

 गुड़हल का फूल डालकर सूर्य को जल अर्पित करने से सूर्य की कृपा मिलती है.

 हर तरह की शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

फूल केवल खूबसूरत और खुश्बूदार ही नहीं होते, बल्कि चमत्कारी ऊर्जा से भरपूर भी होते हैं क्योंकि इसमें देवी -देवताओं का आशीर्वाद होता है. तो आप भी इन फूलों का सही प्रयोग करके अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं.










सबसे उत्तम होता है मानसिक पुष्प


गेंदा, गुलाब, कमल और गुड़हल का इस्तेमाल अलग-अलग तरह की पूजा और उपासना में होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन फूलों के बिना भी आप अपने आराध्य देव को फूल अर्पित कर सकते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो ईश्वर की उपासना में सबसे प्रभावी होता है मानसिक फूल. जानते हैं क्या है मानसिक फूल और क्यों मानते हैं इसे विशेष:







 कमल का मानसिक फूल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.

 अलग-अलग रंग के मानसिक फूल चढ़ाकर अलग-अलग समस्याओं से राहत मिलती है.

 इस फूल को बनाने में जितना समय लगाएंगे, उतना ही अच्छा होगा.

 इससे हर तरह की बाधा और दुर्घटना से रक्षा होगी.








रंग-बिरंगे फूलों की महक से वातावरण हमेशा सुखद अहसास देने वाला बना रहता है. लेकिन अगर आपके पास पूजन के लिए फूल ना भी हों तो प्रभु को मानसिक फूल अर्पित करके भी आप वैसा ही लाभ पा सकते हैं, जैसा वास्तविक फूल चढ़ाने से मिलता है.



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