भारत में मिली दुनिया की सबसे लंबी गुफा की रहस्यमयी दुनिया
हाल ही में बलुआ पत्थरों की दुनिया की सबसे लंबी गुफ़ा का पता भारत के मेघालय में चला है. मैं इसकी एक झलक पाने के लिए गुफ़ा विज्ञानियों की एक टीम के साथ इस गुफ़ा तक गया.
भयावह दिखने वाली इस गुफ़ा के बेतरतीब प्रवेश द्वार पर अपनी उंगलियां गड़ाते हुए ब्रायन डी खरप्राण चेतावनी देते हैं, "अगर आप अंदर गुम हो गए तो आप इससे बाहर आने का रास्ता कभी ढूंढ़ नहीं पाएंगे."
जंगलों की ढलान पर पेड़, पौधों से करीब एक घंटे तक गुजरते हुए हम क्रेम परी के मुहाने पर पहुंचे. इसे स्थानीय भाषा में यही कहा जाता है.
समुद्र तट से 4,025 फीट की ऊंचाई और सामने गहरी घाटी, यह गुफ़ा खड़े चट्टान के मुहाने पर स्थित है. ज़िब्राल्टर से आकार में दोगुनी बड़ी यह 24.5 किलोमीटर गुफ़ा इस धरती पर सर्वाधिक बारिश के लिए मशहूर मासिनराम की हरी भरी वादियों में 13 वर्ग किलोमीटर में फैली है.
फरवरी तक वेनेजुएला की 18.7 किलोमीटर लंबी इमावारी येउता दुनिया की सबसे बड़ी ऐसी गुफ़ा थी.
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71 वर्षीय बैंकर खरप्राण गुफ़ाओं के बारे में बहुत कुछ जानते हैं. वो इन भीषण बारिश वाले पहाड़ी राज्य में करीब ढाई दशक से इनकी खोज में लगे हैं.जब उन्होंने 1992 में इनकी खोज शुरू की थी तो मेघालय में एक दर्जन ज्ञात गुफ़ाएं थीं.
26 साल और 28 खोजी अभियान के बाद, वो और उनकी गुफ़ा विज्ञानियों, भूविज्ञानी, जलविज्ञानी, जीवविज्ञानी और पुरात्तवविदों की 30 सदस्यीय मजबूत अंतरराष्ट्रीय टीम ने राज्य में 1,650 गुफ़ाओं की खोज की है. मेघालय अब दुनिया के सबसे जटिल गुफ़ाओं में से कुछ के लिए जाना जाता है और यहां भारत के अन्य किसी भी जगह की तुलना में सबसे अधिक गुफ़ाएं हैं.
क्रेम पुरी पर वापस आते हैं, हम अंदर जाने के लिए तैयार हैं.
सख्त टोपी और हेडलैंप पहनकर, हम अंधेरे में उतरते हैं. बाईं तरफ नीचे की ओर एक छोटा सा गलियारा है. अगर आप इस बंद, अंधेरे गुफा में क्लॉस्टफोबिया-बढ़ाने वाले छेदों से होकर अपना रास्ता बनाना चाहते हैं तो आपको केविंग सूट पहनने की जरूरत होगी ताकि आप अपने पेट, हाथ और घुटनों पर रेंग सकें. मैंने नहीं पहना है इसलिए मैं ऐसा नहीं कर सकता.
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मुख्य गलियारे पर, दो विशाल पत्थर साथ-साथ खड़े थे. आगे बढ़ने के लिए आपको इन पर चढ़ना होगा या इनके बगल से होकर गुजरना होगा.
मैं चतुराई से दोनों की कोशिश कर रहा हूं और मेरे जूते जोख़िम भरे इन चट्टानों के बीच फंस गए हैं. हम पानी से सटे हुए पत्थरों से आगे निकलते हैं जहां आगे हमें मंद धारा मिलती है. मॉनसून के दौरान, संभवतः यह एक तेज़ धारा में बदल जाएगी.
खरप्राण को दीवार पर एक बड़ी मकड़ी दिखी और हमें एक और चीज़ मिली जो भूवैज्ञानिकों के अनुसार चट्टानों में फंसे शार्क के दांत हैं. वो कहते हैं, "गुफ़ा रहस्यों भरी है."
क्रेम पुरी आपस में जुड़े सैकड़ों छोटे लंबे गलियारों का पेचीदा चक्रव्यूह है. इसकी आकृति बिल्कुल अलग है, जो इसे वास्तव में एक भूलभुलैया बनाती है.
मैं चतुराई से दोनों की कोशिश कर रहा हूं और मेरे जूते जोख़िम भरे इन चट्टानों के बीच फंस गए हैं. हम पानी से सटे हुए पत्थरों से आगे निकलते हैं जहां आगे हमें मंद धारा मिलती है. मॉनसून के दौरान, संभवतः यह एक तेज़ धारा में बदल जाएगी.
खरप्राण को दीवार पर एक बड़ी मकड़ी दिखी और हमें एक और चीज़ मिली जो भूवैज्ञानिकों के अनुसार चट्टानों में फंसे शार्क के दांत हैं. वो कहते हैं, "गुफ़ा रहस्यों भरी है."
क्रेम पुरी आपस में जुड़े सैकड़ों छोटे लंबे गलियारों का पेचीदा चक्रव्यूह है. इसकी आकृति बिल्कुल अलग है, जो इसे वास्तव में एक भूलभुलैया बनाती है.
यहां कुछ कन्दरा (स्टलैक्टाइट) और स्तंभ (स्टलैग्माइट) भी हैं. यहां प्रचुर मात्रा में जीव, मेंढक, मछली, विशाल हंटर मकड़ियां और चमगादड़ भी हैं.
एक स्विस गुफ़ा विज्ञानी और गुफ़ा का नक्शा बनाने के विशेषज्ञ थामस अर्बेन्ज कहते हैं, "इस गुफ़ा का सर्वे करना बहुत मुश्किल चुनौती है."
आपको इसकी झलक मिलती है जब गुफ़ा की दीवारों, गलियारे, गड्ढों, चट्टानों की श्रेणियों और बड़े चट्टानों को सर्वेयर के दिए नाम आप बहुत बारीकी से देखने पर नक्शे पर पाते हैं.
उदाहरण के लिए, द ग्रेट व्हाइट शार्क एक धूसर चट्टान है जो शार्क के समान है और कैन्यन के बीचों बीच स्थित है.
भंगुर बलुआ पत्थर की इन श्रेणियां चलना दुभर हो जाता है. स्लीपी लंच नामक एक गलियारे में कुछ राहत है जहां थके सर्वेयर ने लंच किया था.
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इनमें से कई गुफ़ा के उन इलाकों में हैं जहां पहुंचना बहुत ख़तरनाक और मुश्किल है.
साउरो कहते हैं कि यहां कई और भी चीज़ें पाई गई हैं जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण किए जाने के बाद ही खुलासा किया जाएगा.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी दूर दूर तक संभावना नहीं है क्योंकि खानबदोश आदिमानव आमतौर पर बड़े गुफ़ा या चट्टानी जगहों को रहने के लिए चुनते थे. इसके अलावा बारिश के दिनों में यह जगह रहने के लिहाज से उपयुक्त नहीं है, और इसका मतलब यह भी है कि मेघालय की अधिकतर गुफ़ाओं में इंसान नहीं रहते थे.
यह बलुआ पत्थर से बनी गुफ़ाएं हैं जो इन्हें अनोखा बनाती हैं. यहां आमतौर पर चूना पत्थरों के विघटन से गुफ़ाओं का निर्माण होता है.
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