‘अच्छा, तो हम चलते हैं...’, कहने की तैयारी में रावण
पुर रावण के पुतले को अंतिम रूप देते कलाकार।
सड़क के दोनों किनारे कतारबद्ध तरीके से रखे रावण के विशालकाय सिर और पुतलों को देखकर इस पतली सी गली को ‘दानव गली’ कहना बेहतर हो सकता है, जहां रावण के पुतलों का साम्राज्य फैला है। खास बात यह है कि यहां के रावणों की भारी मांग भी रहती है।
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स्वागत है आप सभी का पश्चिम दिल्ली के तितारपुर इलाके में, जहां पांच फुट से लेकर 50 फुट लंबे रावण खड़े मिल सकते हैं। चमकीले आवरण में लिपटे बांस की कमचियों से बने इन ढांचों को ऑर्डर पर तैयार किया जाता है। इनमें से कई भेजे जाने की तैयारी में हैं तो कई खरीददार इंतजार में खड़े हैं।
यहां सिर्फ रावण के पुतले नहीं हैं
टैगोर गार्डन और सुभाष नगर के बीच की सड़क पर खड़ी रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद की तिकड़ी को यहां सजाया जाता है और दशहरा के अवसर पर दहन के लिये मांग के अनुरूप इन्हें देश भर में भेजा जाता है। हर साल की तरह इस साल भी वहां बनी कई अस्थायी दुकानों में से एक ‘सुभाष और कौशल रावणवाले’ के सतीश कुमार ने बताया, ‘‘रावण तो हमेशा से मांग में रहता है।’’
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रंगीन टेप से दैत्य सम्राट के चेहरे पर अट्टहास की मुद्रा बनाने में व्यस्त रूस्तम गहलोत ने कहा, ‘‘रावण का पुतला खरीदने के लिये भारत में हमारा सबसे बड़ा बाजार है।
दशहरा के उत्सव पर पुतले खरीदने के लिये राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से लोग यहां आते हैं।’’ इन सड़कों पर रूस्तम के परिवार की तरह कई परिवार रहते हैं, जो पिछले दो दशक से पुतले बेच रहे हैं।
ऐसा रावण की डिमांड
आज दशहरा मनाया जाना है और इसे देखते हुए पुतला निर्माता विशेष रूप से निर्मित इन रावणों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। कुछ सिक्स पैक एब्स शरीर वाला दैत्य सम्राट चाहते हैं तो कुछ ‘‘नायक के समान गठीले बदन वाला’’ रावण चाहते हैं। कुल मिलाकर अधिकतर लोग चौड़ा सीना वाला रावण चाहते हैं।
रावण कुछ कुछ ‘‘बाहुबली’’ जैसा होना चाहिए
रूस्तम ने कहा कि हमें किसी ने यह नहीं बताया कि वास्तव में यह कितने इंच का होगा, लेकिन आम धारणा यही है कि रावण कुछ कुछ ‘‘बाहुबली’’ जैसा होना चाहिए। इन पुतलों की कीमत 600 रुपये से लेकर 50,000 रुपये के बीच हो सकती है।
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पुतला निर्माताओं की परेशानी
पुतला निर्माताओं के सामने इस साल कई परेशानियां आयी हैं जैसे कि पिछले हफ्ते ही बारिश के चलते उनका काफी काम बर्बाद हो गया, निकाय अधिकारियों की अतिक्रमण हटाओ मुहिम के कारण भी पुतला बनाने की सामग्री तो कहीं पूरे-पूरे पुतले को नुकसान पहुंचा।
पुतला निर्माताओं के सामने इस साल कई परेशानियां आयी हैं जैसे कि पिछले हफ्ते ही बारिश के चलते उनका काफी काम बर्बाद हो गया, निकाय अधिकारियों की अतिक्रमण हटाओ मुहिम के कारण भी पुतला बनाने की सामग्री तो कहीं पूरे-पूरे पुतले को नुकसान पहुंचा।
'रामजी सब संभाल लेंगे!’
लेकिन इन कलाकारों ने तो जैसे जीवन में आगे बढ़ना सीखा है और उन्हें उम्मीद भी है पिछले साल की तरह ही इस त्यौहारी मौसम में भी उनकी कमाई अच्छी होगी।
सतीश पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं, ‘‘रामजी सब संभाल लेंगे!’’
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