दुनिया की सबसे खतरनाक जगह, यहां किया गया 456 परमाणु बमों का टेस्ट
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन समिट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय कजागस्तान की यात्रा पर हैं। इसी सिलसिले में आज हम आपको कजागस्तान की सबसे खतरनाक जगह यानी कि ‘द पॉलिगन’ एटमिक टेस्ट साइट के बारे में बता रहे हैं। कजागस्तान की यह जगह आम लोगों के लिए प्रतिबंधित है, क्योंकि यहां आज भी काफी मात्रा में रेडिएशन है। सोवियत यूनियन के परमाणु परीक्षण के लिए यह दुनिया की सबसे बड़ी साइट थी। साल 1949 से 1989 के बीच यहां 456 परमाणु बमों का टेस्ट किया गया।
कजागस्तान के ‘द पॉलिगन’ का आधिकारिक नाम सेमीपलाटिंस्क टेस्ट साइट है। इसका क्षेत्रफल 6,950 स्क्वॉयर किमी है। विशाल क्षेत्रफल के चलते सोवियत यूनियन ने इसका यूज अपने परमाणु बमों से लेकर कई तरह की मिसाइल टेस्ट के लिए किया। इस जगह को चुनने की एक और वजह यह थी कि ये सर्बिया के मुकाबले ये रूस की केपिटल सिटी मेक्सिको के करीब थी। इसके अलावा यहां का पूरा इलाका खाली थी और सैकड़ों किमी की दूरी तक कोई नहीं रहता था। सोवियत संघ ने इस टेस्ट साइट का निर्माण बहुत खुफिया तरीके से किया था। सन् 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद ही इस साइट का पता चला था।
यह सोवियत यूनियन का सीक्रेट बेस था, फ्लैट्स की शक्ल दी गई थी, जिससे कि किसी को यहां बेस होने का शक न हो। इसमें न्यूक्लियर बमों में यूज होने वाला सामान रखा जाता था। इसका निर्माण 1953 में किया गया। सोवियत यूनियन के विघटन के बाद यहां से भारी मात्रा में केमिकल बरामद किया गया था।
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रशियन केमिकल फैक्ट्री, जहां परमाणु बमों के लिए तरह-तरह के केमिकल का टेस्ट किया जाता था।
यह मिलिट्री बेस जंगल में घनी झाड़ियों के बीच बनाया गया था। यहां एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम था, जहां भारी तादात में एंटी बैलिस्टिक मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट मौजूद थे।
बिल्डिंग, जहां से न्यूक्लियर बमों की तीव्रता नापी जाती थी।
सोवियत यूनियन ने यहां तालाब बनाने के लिए 1965 में एटम बम गिराया था। दरअसल, साइंटिस्ट इस टेस्ट से ये देखना चाहते थे कि क्या परमाणु बमों का उपयोग झील, तालाब खोदने के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि, यह प्रयोग फेल रहा, क्योंकि कई बार खाली होने व भरने के बावजूद इसका पानी आज तक रेडियोक्टिव है।
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सेमिपालातिंस्क टेस्ट साइट। यहां सोवियत यूनियन ने 1949 से 1989 तक 456 न्यूक्लियर बमों का टेस्ट किया था।
आज भी इस इलाके में सोवियत यूनियन के समय की अब भी जर्जर मशीनें पड़ी हुई हैं।
सोवियत यूनियन के विघटन के बाद कजागस्तान ने 1992 में यह साइट आम लोगों के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई थी, क्योंकि यहां बहुत रेडिएशन था, जो अब भी मौजूद है।
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