देशभर में ऐसे मनाते हैं मकर संक्रांति
मकर संक्रान्ति भारत के भिन्न-भिन्न लोगों के लिए भिन्न-भिन्न अर्थ रखती है।
यदि दीपावली ज्योति का पर्व है तो संक्रांति मौसम और फसलों का पर्व है।
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ :
इस दिन इस प्रदेश में पतंग के अलावा अन्य पारंपरिक खैल जैसे गिल्ली-डंडा खेलने का रिवाज है।
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पंजाब एवं हरियाणा:
मकर संक्रांति के दिन यहां कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं जिनमें मुख्य रूप से मक्के की रोटी और सरसों का साग हर घर में बनता है। इसके अलावा तिलकूट, रेवड़ी गजक, मक्के का लावा, मूंगफली औरमिठाईयां भी लोग खाते हैं।
उत्तर प्रदेश-
बिहार: दोनों ही राज्यों में इस दिन अगहनी धान से प्राप्त चावल और उड़द की दाल से खिचड़ी बनाई जाती है। कुल देवता को इसका भोग लगाया जाता है।
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पश्चिम बंगाल में:
मकर संक्रांति पर लोग गंगासागर द्वीप पर आते हैं। जहां भव्य मेला लगता है। कहते हैं गंगा सागर में इस दिन डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं।
कर्नाटक:
यहां फ़सल का त्योहार के रूप में मनाया जाता है। बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है।
गुजरात:
यहां रंगबिरंगी पंतगों आसमान भरा रहता है। गुजराती लोग इस दिन को विशेष शुभ मानते हैं।
केरल:
इस दिन भगान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला मंदिर जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।
महाराष्ट्र:
इस दिन पुराने गिले-शिकवे भुलाकर तिल-गुड़ से मुंह मीठा कर दोस्ती को फिर तरोताजा करते हैं।
तमिलनाडु:
तमिलनाड़ु में यह पर्व पोंगल के नाम से जाना जाता है। दूध मे उबाले गये चावल को तमिल मे 'पोंगल' कहते है।
यहां फ़सल का त्योहार के रूप में मनाया जाता है। बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है।
गुजरात:
यहां रंगबिरंगी पंतगों आसमान भरा रहता है। गुजराती लोग इस दिन को विशेष शुभ मानते हैं।
केरल:
इस दिन भगान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला मंदिर जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।
महाराष्ट्र:
इस दिन पुराने गिले-शिकवे भुलाकर तिल-गुड़ से मुंह मीठा कर दोस्ती को फिर तरोताजा करते हैं।
तमिलनाडु:
तमिलनाड़ु में यह पर्व पोंगल के नाम से जाना जाता है। दूध मे उबाले गये चावल को तमिल मे 'पोंगल' कहते है।
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असम:
माघ बिहू के पहले दिन को उरुका कहा जाता है। इस दिन लोग नदी के किनारे अथवा खुली जगह में धान की पुआल से अस्थाई छावनी बनाते हैं जिसे भेलाघर कहते हैं। गांव के सभी लोग यहां रात्रिभोज करते हैं।
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