गुजरात चुनाव के नतीजों पर क्यों टिकी चीन की नज़र?
जिस राज्य ने नरेंद्र मोदी को बतौर नेता स्थापित किया, अगले पांच साल के लिए उसकी कमान किसके हाथ में रहेगी, इस बात का फ़ैसला सोमवार दोपहर हो जाएगा. देश भर की निगाहें इन्हीं नतीजों पर टिकी हैं. गुजरात को लेकर किस कदर दिलचस्पी है, ये इस बात से पता चलता है कि इसी दिन हिमाचल प्रदेश के नतीजे भी आने हैं, लेकिन उसका ज़िक्र ज़रा सा है.
और ऐसा नहीं कि गुजरात पर सिर्फ़ देश की नज़र है. भारत के पड़ोसी देश भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. गुजरात के चुनाव प्रचार में पाकिस्तान का ज़िक्र आया, लेकिन इनके नतीजों में चीन काफ़ी उत्सुकता दिखा रहा है.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' का गुरुवार को छपा लेख इसी तरफ़ इशारा करता है. इसमें लिखा गया है, ''भारत के गुजरात राज्य में गुरुवार को दूसरे दौर का चुनाव संपन्न हुआ और चीन में कई जानकार इस पर पैनी निगाह टिकाए हैं, जिसके नतीजे सोमवार को आने हैं.''
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गुजरात चुनाव में इस बार 'हिंदुत्व' का मुद्दा कहां गया?
''गुजरात चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधारवादी एजेंडे को लेकर भारतीय मतदाताओं के रुख़ की अग्निपरीक्षा है.
और भारत के साथ चीन की बढ़ती राजनीतिक नज़दीकियों की वजह से ये चीन के लिए गंभीर चिंता का विषय है.''
''मोदी की भारतीय जनता पार्टी गुजरात में चुनावी हार से बचने के लिए गंभीर कोशिश कर रही है. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी इसी राज्य में 13 बरस मुख्यमंत्री रहे हैं.''
''मोदी के 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियान और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों को 'गुजरात के विकास मॉडल' को आगे बढ़ाने वाला कहा जाता है जिसके बारे में मोदी ने कहा था कि वो देश में भी इसे लागू करेंगे.''
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'भारतीय लोकतंत्र के लिए यह बात बेहद घातक'
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''हालांकि नरेंद्र मोदी के सुधारों को दूसरे राजनीतिक दलों और कुछ अर्थशास्त्रियों की आलोचना का भी सामना करना पड़ा
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