1700 साल पहले 22 दिसम्बर को क्यों मनाते थे मकर संक्रांति
19वीं सदी में ऐसा अमूमन देखा गया है कि मकर संक्रांति 13 और 14 जनवरी को मनाई गई। पिछले तीन साल से लगातार संक्रांति का यह क्रम जारी था।
लेकिन साल 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
दरअसल ऐसा खगोलीय घटना के कारण होता है। वर्ष भर हर माह सूर्य बारह राशियों में एक से दूसरी में प्रवेश करता रहता है।
इसे भी पढ़ें :- दुनिया के सबसे मोटे बच्चे को स्कूल जाने के लिए करना पड़ा ये काम
ज्योतिष मान्यता के अनुसार जिस वर्ष रात्रि में संक्रांति हो तो पुण्य काल दूसरे दिन होता है, उस वर्ष मकर सक्रांति 14 जनवरी को होती है। चूंकि इस वर्ष सूर्य भारतीय समयानुसार 14 जनवरी को आधी रात 1.25 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसलिये उसका पुण्यकाल 15 जनवरी को ही माना जाता है।
इसे भी पढ़ें :- जापान के नेक्ड रेस्टोरेंट में एंट्री से पहले उतारने होंगे कपड़े, मोटे लोगों की नहीं एंट्री-पढ़ें और भी शर्तें
मकर सक्रांति मनाए जाने का यह क्रम हर दो साल के अन्तराल में बदलता रहता है। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति 2017 व 2018, 2021 में वापस 14 जनवरी को व साल 2019 व 2020 में 15 जनवरी को मनाई जाएगी। यह क्रम 2030 तक चलेगा।
इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को व एक साल 14 जनवरी को सक्रांति मनाई जाएगी। 2080 से 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। क्यों होता है ऐसा पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक आगे बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें :- मकर संक्रांति के बाद जायेंगे जनता के बीच : तेजस्वी
क्यों होता है ऐसा पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक आगे बढ़ जाता है।
No comments:
Post a Comment