नबी के वफादार बनने पर मिलती है जन्नत
जागरण संवाददाता, उरई : अगर जन्नत चाहिए तो नबी के वफादार बन जाओ। नबी के बताये रास्ते पर चलो। बड़ों की इज्जत करो, छोटों से प्यार से पेश आओ। जिस काम से नबी ने मना किया उसे हरगिज मत करो।
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दूसरों की मदद करो। गरीबों-बेसहारों का सहारा बनो। भूखों को खाना खिलाओ तो ये सब काम करने दुनिया में
भी कामयाब होगे और आखिरत में भी कामयाब हो जाओगे।
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उक्त बात मौलाना अख्तर रजा सुल्तानी एरच ने मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा बुधवार रात बरकाती ग्राउंड में चल रहे पैगामे शहीदे आजम की छठवीं महफिल में कही। उन्होंने कहा कि नबी का फरमान है
कि गैरमहरम लड़की (जिससे शादी हो सकती है) को न देखें। अपनी नजरों की हिफाजत करें। गैरमहरम लड़की पर एक बार धोखे से निगाह पड़ जाये तो माफ है, लेकिन दोबारा जानबूझकर उस लड़की पर निगाह डालना बहुत बड़ा गुनाह है।
इमाम हुसैन अलै. की ¨जदगी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ¨जदगी भर इमाम हुसैन ने दीन की खिदमत को खूब-खूब अंजाम दिया। बेसहारा लोगों का सहारा बने। गरीबों की मदद की। भूखों को खाना खिलाया। इमाम हुसैन के घर से कोई भी भिखारी खाली हाथ नहीं लौटता था। जो भी उनके घर हाजिर होता उसे वो कुछ न कुछ जरूर देते थे।
बरेली शरीफ से आये शायर इस्लाम रजा बरकाती ने नात व इमाम हुसैन की शान में मनकबत पढ़ी, जिसे सुनकर अकीदतमंद गमगीन हो गये। मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी कानपुर ने तकरीर करते हुए कहा कि इमाम हुसैन की याद मनाया करो। उनका शहादतनामा पढ़ा करो। इमाम हुसैन के नाम पर खूब लंगर किया करो और इमाम हुसैन की ¨जदगी से सीख लेना चाहिए। चाहे जितनी भी मुश्किल आये नमाज नहीं छोड़नी चाहिए और हर हालत में खुदा का शुक्र व सब्र करना चाहिए।
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इससे पहले प्रोग्राम का आगाज तिलावते कुरआन से हाफिज अल्हाज फजले अजीम रहमानी ने किया। हाफिज मोनिस चिश्ती ने करबला की शान में मनकबत पढ़ी और इमामे हुसैन की बारगाह में खिराजे अकीदत पेश की, जिसे सुनकर महफिल में आये हुए अकीदतमंदों ने नार-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर, नार-ए-रिसालत, या हुसैन के नारे बुलंद किए।
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