कभी सोया टेंट में, कभी मिले 500 रुपए, यूं क्रिकेटर बना ये दुकानदार का बेटा
शमी के पिता तौसिफ अली भी अपने जमाने में फास्ट बॉलर थे। हालांकि ज्यादा चांस नहीं मिलने की वजह से उनका सपना अधूरा रह गया।
मोहम्मद शमी ने हाल ही में (3 सितंबर) अपना 28वां बर्थडे सेलिब्रेट किया। यूपी के अमरोहा के करीब एक छोटे से गांव सहसपुर के रहने वाले शमी बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे। उनके पिता भी अपने जमाने के फास्ट बॉलर रहे, जिसके बाद अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने शमी को क्रिकेट सीखने के लिए कोलकाता भेज दिया।
शमी के पिता तौसिफ अली भी अपने जमाने में फास्ट बॉलर हुआ करते थे। हालांकि ज्यादा मौके नहीं मिलने की वजह से उनका सपना पूरा नहीं हो सका और उन्होंने ट्रैक्टर के स्पेयर पार्ट्स की दुकान खोल ली।
- उनके तीनों बेटे भी उन्हीं की तरह अच्छे क्रिकेटर निकले और तीनों को फास्ट बॉलिंग का शौक रहा। इनमें से बड़े बेटे ने किडनी में पथरी होने के बाद फैमिली बिजनेस संभाल लिया।
- शमी बचपन से क्रिकेट के शौकीन रहे। उन्हें गांव में जहां जगह मिलती, वहीं वे गेंदबाजी करने लग जाते। घर के आंगन में, छत पर, बाहर खाली पड़ी जगह पर, 22 गज से लंबी हर जगह उसके लिए पिच होती थी।
- शमी शुरू से ही काफी फास्ट बॉलिंग करते आ रहे हैं, उनकी रफ्तान ने बहुत कम उम्र में ही उन्हें आसपास के गाँवों में फेमस बना दिया था। वे स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंटों का आकर्षण होते।
- तौसिफ अली ने तीनों बेटों के बीच अपने मझले बेटे यानी शमी को सबसे ज्यादा टैलेंटेड पाया इसलिए वे उन्हें मुरादाबाद में रहने वाले बदरुद्दीन सिद्दीकी के पास लेकर गए, जो कि क्रिकेट की कोचिंग देते थे।
- बदरुद्दीन की कोचिंग में शमी को काफी फायदा तो हुआ, लेकिन यूपी के छोटे से शहर में रहकर आगे बढ़ने के ज्यादा चांस नहीं थे। करीब सालभर बाद उनके पिता ने उन्हें अच्छी तैयारी के लिए कोलकाता भेज दिया।
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शमी साल 2005 में करीब 16 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना लेकर यूपी के एक छोटे से गांव से कोलकाता पहुंचे थे। जहां उन्होंने डलहौजी एथलेटिक्स क्लब से क्रिकेट खेलना शुरू किया।
- कोलकाता पहुंचने के बाद शुरुआती दिनों में शमी के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था, जिसके बाद कई बार उन्हें डलहौजी क्लब के अंदर लगे टेंट में रातें गुजारनी पड़ीं।
- हालांकि कुछ दिनों बाद थोड़ा पैसा मिलने के बाद वे वहां के बाकी क्रिकेटर्स के साथ रूम शेयर करके रहने लगे। उस वक्त डलहौजी के लिए एक मैच खेलने पर उन्हें 500 रुपए मिलते थे।
- कोलकाता पहुंचने के बाद शुरुआती दिनों में शमी के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था, जिसके बाद कई बार उन्हें डलहौजी क्लब के अंदर लगे टेंट में रातें गुजारनी पड़ीं।
- हालांकि कुछ दिनों बाद थोड़ा पैसा मिलने के बाद वे वहां के बाकी क्रिकेटर्स के साथ रूम शेयर करके रहने लगे। उस वक्त डलहौजी के लिए एक मैच खेलने पर उन्हें 500 रुपए मिलते थे।
शमी ने नवंबर 2013 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना डेब्यू टेस्ट मैच खेला था। सीरीज का ये पहला मैच था और सचिन तेंडुलकर के करियर का सेकंड लास्ट टेस्ट था।
- इस मैच की पहली ही इनिंग में शमी ने केवल 17 ओवर में 4 विकेट झटक लिए। इसके बाद दूसरी इनिंग में उन्होंने 13 ओवरों में 5 विकेट लेकर जबरदस्त डेब्यू किया था। भारत ने वो मैच एक इनिंग और 51 रन से जीता था।
- शमी अपने क्रिकेट करियर में अबतक 25 टेस्ट मैच खेलकर 86 विकेट ले चुके हैं। वहीं वनडे करियर में उन्होंने 49 मैचों में 91 विकेट लिए हैं। इसके अलावा 7 टी-20 मैचों में उनके नाम 8 विकेट दर्ज हैं।
- उन्होंने अपना डेब्यू वनडे मैच जनवरी 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था, जिसमें उन्होंने 10 में से 4 ओवर मेडन डाले थे।
- शमी के अलावा उनके दो भाई और एक बहन भी हैं। उनके पिता का इसी साल जनवरी में निधन हो गया वहीं उनकी मां बेटे के साथ ही रहती हैं।
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जून 2014 में शमी की शादी कोलकाता की ही रहने वाली हसीन जहां के साथ हुई है। इस कपल की एक बेटी आयरा है। जिसका जन्म जून 2015 में हुआ।
शमी बचपन से ही फास्ट बॉलर रहे हैं, अपनी रफ्तार के कारण ही काफी कम उम्र में वे आसपास के गांवों में फेमस हो गए थे।
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जून 2014 में शमी की शादी कोलकाता की ही रहने वाली हसीन जहां के साथ हुई है। इस कपल की एक बेटी आयरा है।
शमी के दो भाई और एक छोटी बहन भी है। उनके दोनों भाई भी क्रिकेटर रहे हैं। हालांकि बड़े भाई को बीमारी की वजह से बाद में पिता का बिजनेस संभालना पड़ा।
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