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Friday, September 29, 2017

विनोद खन्ना की ज़िंदगी में सब कुछ 'अचानक' रहा

  विनोद खन्ना की ज़िंदगी में सब कुछ 'अचानक' रहा



'मुक़द्दर का सिकंदर', 'हेरा फेरी', 'अमर अकबर एंथनी', 'परवरिश'..विनोद खन्ना की एक के बाद एक हिट और मल्टीस्टारर फ़िल्में आ रही थीं.












फिर एक दिन अचानक विनोद खन्ना ने अपने परिवार के साथ मुंबई में प्रेस कॉन्फ़्रेंस बुलाई. उन दिनों किसी स्टार का इस तरह प्रेस कॉन्फ़्रेंस करना आम नहीं था.









विनोद खन्ना ने ये कहकर सबको हैरान कर दिया था कि वो फ़िल्मों को अलविदा कह रहे हैं. वह ओशो के शिष्य बन अमरीका चले गए. फ़िल्में छोड़ने से कुछ समय पहले से वो फ़िल्म सेट पर भी भगवा कपड़े और माला पहनकर रहने लगे थे.सिमी ग्रेवाल के टीवी शो पर ओशो के पास जाने पर उन्होंने बताया था, "मैं उस समय हर बात पर ग़ुस्सा हो जाता था. मैं सेचुरेशन प्वाइंट पर पहुँच चुका था. मैं चाहता था कि मैं 'मास्टर ऑफ़ माई ओन माइंड' बनूँ."










विलेन से टॉप स्टार


दरअसल, विनोद खन्ना की पूरी ज़िंदगी का सार निकालें तो उन्होंने हमेशा समय की धारा के उलट ही काम किया.हिंदी फ़िल्मों में छोटे-मोटे और विलेन का रोल करने वाले विनोद खन्ना ने बाद में ख़ुद को टॉप सितारा साबित किया. और टॉप सितारा बनने के बाद एक झटके में सब छोड़ भी दिया.1968 में विनोद खन्ना सबसे पहले फ़िल्म 'मन का मीत' में नज़र आए थे. पेशावर से मुंबई आकर बसे विनोद खन्ना पर सुनील दत्त की नज़र पड़ी. दिखने में अच्छे ख़ासे थे तो झट से उन्हें साइन कर लिया, लेकिन बतौर विलेन. हीरो थे सुनील दत्त के भाई सोमदत्त. सोमदत्त को तो लोग भूल-भुला गए, लेकिन लंबी कद काठी वाले विनोद लोगों को याद रहे.










एंग्री यंग मैन?


1970-71 में 'आन मिलो सजना', 'पूरब और पश्चिम', 'सच्चा झूठा' जैसी कई फ़िल्में आईं, जिनमें कभी वो साइड रोल तो कभी विलेन बनते.लेकिन असली पहचान उन्हें दिलाई गुलज़ार की फ़िल्म 'मेरे अपने' ने जहाँ बेरोज़गारी और भटकाव से गुज़र रहे युवक के रोल में विनोद खन्ना ने मौजूदगी दर्ज कराई. कह सकते हैं कि वो गुलज़ार के एंग्री यंग मैन थे.1973 में गुलज़ार की ही फ़िल्म 'अचानक' में विनोद खन्ना ने वही रोल निभाया था जिसके लिए अब अक्षय कुमार को 'रुस्तम' के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला है.
इसके बाद जो फ़िल्में उन्हें मिलती गईं, उसने उन्हें हैंडसम, डैशिंग, सेक्सी हीरो जैसी कैटिगरी में लाकर खड़ा कर दिया. यहाँ तक कि जब वो ओशो के पास चले गए तो लोग उन्हें 'सेक्सी संन्यासी' कहते थे.










बिग बी से टक्कर


'ख़ून पसीना', 'परवरिश', 'हेरा फेरी', 'मुक़द्दर का सिंकदर' और 'अमर अकबर एंथनी' में वो बिग बी के साथ नज़र आए. इत्तेफ़ाक की बात है कि शुरुआती दौर में 'रेशमा और शेरा' में दोनों ने एक साथ किया था. तब दोनों का ही इंडस्ट्री में नाम नहीं था.
विनोद खन्ना के फ़ैन्स अक्सर ये कहते हैं कि वन मैन इंडस्ट्री बन चुके अमिताभ के दौर में विनोद अगर फ़िल्में न छोड़ते तो वो अमिताभ बच्चन से आगे होते.
हालाँकि एक सिनेमा प्रेमी के नाते मैं इससे सहमत नहीं हूँ. एक्टिंग रेंज के मामले में अमिताभ बच्चन ने अलग-अलग रोल में लोहा मनवाया जबकि विनोद खन्ना की रेंज औसत रही.
हालांकि स्टाइल और लुक्स के मामले में कम ही लोग विनोद खन्ना को टक्कर दे पाए.








बैडमिंटन का मैच और शादी


1987 में फ़िल्मों में वापसी के बाद उन्होंने कई औसत तो कुछ हिट फ़िल्में कीं.

फ़िल्मों की तरह उनकी निजी ज़िंदगी में भी कई उतार चढ़ाव आए. ओशो की शरण में जाने के बाद उनका पहली पत्नी गीतांजलि से तलाक़ हुआ, लेकिन 1990 में उन्होंने कविता से शादी की.

सिमी ग्रेवाल के टीवी शो में कविता खन्ना ने बताया था, "अपने दोस्तों के कहने पर मैं विनोद खन्ना के घर पार्टी पर गई थी. हालांकि मुझे बुलाया नहीं गया था.''











उन्होंने कहा, ''वहाँ से जान पहचान हुई. विनोद मुझे फ़ोन करने लगे. मैं काफ़ी दिन तक मना करती रही, लेकिन धीरे-धीरे हमारे बीच रिश्ता बनने लगा. पर विनोद ने साफ़ कर दिया था वो दोबारा किसी से शादी नहीं करेंगे. "एक दिन वो बैंडमिंटन खेल रहे थे. उन्होंने शॉर्टस पहने हुए थे, पसीने से तर-बतर थे. वो अचानक आए और पूछा कि क्या तुम शादी करोगी?" ठीक उसी तरह 'अचानक' जैसे एक दिन विनोद खन्ना फ़िल्में, 'दौलत', 'शोहरत' छोड़ आध्यात्म की ओर चले गए थे.







सब कुछ अचानक


मुझे लगता है कि विनोद खन्ना की ज़िंदगी को अगर एक शब्द में बयां करना हो तो 'अचानक' शब्द ही सबसे सटीक होगा. उनकी ज़िंदगी में सब अचानक हुआ- राजनीति में आने का फैसला भी कुछ ऐसा ही था. उनकी बीमारी की ख़बर भी अचानक ही सामने आई. अकेले आते हैं. अपनी इंटरव्यू में एक बार उन्होंने कहा था, "आप अकेले आते हैं, आप अकेले जाते हैं, मैंने ज़िंदगी में जो भी किया मैं उससे ख़ुश हूँ. शायद उन्हें ज़िंदगी जीने का यही अंदाज़ पंसद था और इसी अंदाज़ ने उन्हें दूसरों से अलग भी बनाया.







शायद इसीलिए नेशनल फ़िल्म आर्काइव ऑफ़ इंडिया आज विनोद खन्ना की याद में उनकी सारी फ़िल्मों में से फ़िल्म अचानक का शो कर रहा है. उनका करियर कभी वो ऊँचाई हासिल नहीं कर सका, लेकिन उन्होंने बाद में भी 'चाँदनी', 'लेकिन' और 'दबंग' जैसी फ़िल्मों के ज़रिए ख़ुद को कभी आउटडेटिड नहीं होने दिया. वैसे उनकी एक फ़िल्म आनी बाकी है- 'एक थी रानी ऐसी भी' जिसमें वो हेमा मालिनी के साथ नज़र आएँगे- विजय राजे सिंधिया पर बनी फ़िल्म में.



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4 तथ्य जो बताते हैं मंदिर का इतिहास

4 तथ्य जो बताते हैं मंदिर का इतिहास



शिवरात्रि मंदिरमें भव्य रूप से मनाई जाती है। पिछले कुछ वर्षों से शिव बारात पहाड़ी मंदिर से निकलकर यहां आती है। दुर्गा पूजा के समय मंदिर परिसर में दुर्गाजी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पिछले एक दशक से यहां गणेश पूजा का भी आयोजन होता है।












प्रत्येक शनिवार को माताजी निर्मला देवी का सहजयोग कार्यक्रम होता है।









मंदिर की देख-रेख अब एक ट्रस्ट करती है। जिसका पदेन सचिव रांची एसडीओ अनुमंडलाधिकारी होते हैं। मंदिर के रख-रखाव का खर्च इस परिसर में चार दुकानों के किराए एवं दान से पूरा किया जाता है। 










एक एकड़ जमीन पर पुजारी जी का मकान, मंदिर, कई पेड़, एक पुराना कुआं तथा सरना स्थल भी है। {डॉ.मो. जाकिर, साहित्यकार,शिक्षाविद् 









पिस्का मोड़ का प्रसिद्ध विश्वनाथ शिव मंदिर 1850 में बना 










अबयह मंदिर विश्वनाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। लगभग छह दशकों तक मंदिर में पूजा करवाने वाले महंत साधु मोहनानंदजी के निधन के बाद उनकी चबूतरानुमा समाधि मंदिर परिसर में स्थापित की गई है। 








. 1990के दशक में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जिसका शिलान्यास र|ेश्वर दयाल सिंह ने किया था।











पुराना गर्भ गृह जहां शिवलिंग स्थापित था। ठीक उसके ऊपर नया शिवलिंग स्थापित किया गया। पुराना शिवलिंग अब भी गर्भगृह में मौजूद है।साथ ही शिव परिवार की पुरानी तीनों मूर्तियां- पार्वती, गणेश एवं कार्तिक नवनिर्मित मंदिर में उसी स्वरूप में स्थापित हैं। अब मंदिर के अंदर नंदी सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं लगी हुई हैं। 








सन1850 में शिव-भवानी मंदिर का निर्माण जमींदार जगेश्वर दयाल सिंह ने करवाया था। उस जमीन का उल्लेख कैथेड्रल सर्वे 1909 में उनके बड़े-बेटे परमेश्वर दयाल सिंह के नाम से अर्जित है। इस मंदिर का जिक्र 1932 खतियान के आरएस- 2,3 खेवट में भी दर्ज है। खेवट में इस मंदिर परिसर का मालिक जमींदार सरयू दयाल सिंह दर्ज हैं। उस समय मंदिर में नंदी की मूर्ति नहीं लगी थी। मंदिर परिसर का पूरा क्षेत्रफल 1 एकड़ है, जिसमें से 62 डिसमिल जमीन जमींदार सरयू दयाल सिंह ने भगवान शिव को समर्पित किया था। आस-पास के लोग यहां पूजन के लिए आते हैं। पूर्व में मंदिर का सारा खर्च जमींदार परिवार ही वहन करता था। 








यदि आपके पास भी कोई यूनिक कलेक्शन या स्पेशल पेट हों तो हमसे जरूर संपर्क करें। ‘रांची पोस्ट’ पेज कैसा लगा, आप हमें फोन नंबर 9934523670 पर सुबह 11 से शाम 6 बजे तक वाट्सएप द्वारा फीडबैक दे सकते हैं। हमें kundan.kumar@dbcorp.in पर मेल भी कर सकते हैं।167 साल पहले पिस्का मोड़ में शिव-भवानी मंदिर बना, जो आज विश्वनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। पुराना मंदिर सुर्खी-चूना और ईंट का बना था, जिसमें शिव जी के साथ उनके परिवार के पार्वती, गणेश एवं कार्तिक की मूर्तियां स्थापित थीं। अब नया शिवलिंग स्थापित है, लेकिन पुराना अब भी गर्भगृह में मौजूद है। 



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लेदर शूज का है शौक तो उन्हें कुछ इस तरीके से रखें संभालकर

लेदर शूज का है शौक तो उन्हें कुछ इस तरीके से रखें संभालकर



जूतों का शौक सभी को होता है। आपकी पर्सनालिटी को आकर्षक बनाते हैं जूते। खासकर लड़कों को अपने जूतों से खासा लगाव होता है। वर्किंग लड़कों को अक्सर अपने जूतों का खास ध्यान रखना होता है। अगर आपके जूते साफ-सुथरे न हों तो आपके आस-पास के लोगों के लिये भी आप गॉसिप का मुद्दा बन जायेंगे






अगर आपको जूते पहनने का शौक है तो उसे क्लिन रखना आपका फर्ज बनता है। जूतों को अच्छे से पालिश करना, अच्छे तरीके से संभालकर रखना उसमें शामिल है। चमड़े के जूते काफी महंगे होते हैं। ज्यादातर पुरुषों को लैदर शू ही अट्रैक्ट करते हैं।









अगर इनका रख-रखाव अच्छे से न किया जाये तो धूल-मिट्टी और गलत पॉलिश की वजह से जूते सिंपल लगने लगते हैं और उनका रौब खत्म हो जाता है। जिससे आपकी पर्सनालिटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। हम इस आर्टिकल के जरिये कुछ ऐसे ही टिप्स आपको बताने जा रहे हैं जिसके जरिये आप अपने जूतों को सुंदर और अट्रैक्टिव बना सकते हैं।









डायरेक्ट जूते उतारने से बचें


कभी-कभी जल्दबाजी में हम जूते यूं ही बिना लेस खोले ही उतार देते हैं जिसके कारण भी उसका शेप खराब हो जाता है। 









जूतों पर निशान पड़ जाते हैं और उनका शो बिगड़ जाता है। 










पॉलिश करते वक्त रखें ध्यान


लैदर शूज को पॉलिश करते समय हमेशा ध्यान रखें कि लिक्विड पॉलिश का इस्तेमाल न करें। इससे जूते खराब हो जाते हैं। जूतों पर हमेशा वैक्स बेस पॉलिश ही करें।








पानी और धूल से बचायें

पानी और धूल के संपर्क में आने से जूते खराब हो जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि जब भी कहीं बाहर जायें तो जूतों पर अलसी के तेल की कोटिंग जरूर करें। इससे लैदर वाटर प्रूफ हो जाता है और पानी जूतों के बीच में नहीं जाता है।












शू रैक का करें इस्तेमाल


अगर आप चाहते हैं कि आपके जूतों की उम्र लंबी हो तो इस बात का ध्यान रखें कि जूते उतार कर हमेशा शू रैक या शू-ट्री में रखें।





शू के डिब्बे में भी रख सकते हैं जूते

जूतों के डिब्बे को कभी न फेंके उसमें आप अपने जूतों को रखकर सालों-साल चमकदार रख सकते हैं। 










आपको बार-बार जूते खरीदने के झंझट से छुटकारा मिल जायेगा। इससे जूतों पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा और वे काफी समय तक नए रहेंगे।


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Wednesday, September 27, 2017

इन चीजों को खाने से करें परहेज, नहीं होगी किडनी में पथरी

 इन चीजों को खाने से करें परहेज, नहीं होगी किडनी में पथरी



जिंदगी की भाग दौड़ में हम खानपान की आदतों पर ध्यान नहीं दे पाते. जिसकी वजह से बीमारियां हमें जकड़ लेती हैं. पथरी भी खाने पीने पर ध्यान न देने की वजह से होती है.












पथरी के बारे में शुरू में पता नहीं चलता. किडनी की पथरी के बारे में तब पता चलता है 








जब पथरी का आकार बढ़ने लगता है. किडनी की पथरी में रोजमर्रा के खाना पान का ध्यान रखें और परहेज करें तो दिक्कतें काफी हद तक दूर हो जाती हैं. 






hindi.news18.com आपको बता रहा है खाने की वो चीजें जिनसे परहेज करने पर पथरी केन होने की संभावना बढ़ती है.





पालक

पथरी के मरीज पालक खाते हैं तो उनकी स्थिति बिगड़ सकती है. पालक में ऑक्सेलेट होता है जो कैल्शियम को जमा कर लेता है और यूरीन में नहीं जाने देता.






चाय

पथरी के मरीजों को सुबह की शुरुआत चाय से नहीं करनी चाहिए. यह पथरी का साइज बड़ा सकती है.




टमाटर

पथरी के मरीजों को टमाटर खाना है तो उसके बीज निकालकर खाएं. टमाटर में भी ऑक्सेलेट पाया जाता है.







                           


नमक

पथरी के मरीज को खाने में नमक का इस्तेमाल भी कम करना चाहिए. नमक में सोडियम होता है, जो पेट में जाकर कैलशियम बन जाता है और ये पथरी को बढ़ाता है.








चॉकलेट

चॉकलेट किडनी की पथरी को बड़ा सकती है. चॉकलेट से दूरी बना लें क्योंकि इसमें ऑक्सेलेट्स होते हैं.








मीट

पथरी के मरीजों को मीट समेत सभी प्रोटीन वाली चीजों से परहेज करना चाहिए. नॉनवेज में प्यूरीन तत्व होता है जो प्यूरीन की मात्रा बढ़ाता है. प्यूरीन की मात्रा बढ़ने पर
यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है जिससे पथरी बड़ सकती है.



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