अधिक Bank Account रखने के ये हैं नुकसान
बदलने जैसे कारणों से हमारे पास कई बैंक अकाउंट्स हो जाते हैं. अक्सर हम इसकी फिक्र भी नहीं करते, बल्कि शेखी बघारने के लिए कई दफा इस संख्या का इस्तेमाल भी कर लेते हैं.
इसे भी पढ़ें :- क्यों बॉलीवुड? इन 15 दिनों को पनौती मानता है,
इस क्रम में हमें इस बात का जरा भी भान नहीं रहता कि इसकी हमें बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ जाती है.
इसे देखते हुए हम यहां पुराने अकाउंट बंद नहीं कराने के कुप्रभाव से लेकर बंद कराने के तरीके
इसे भी पढ़ें :- सचिन तेंदुलकर की ज़िन्दगी का रोमांटिक पहलू भी दिखाएगी बायोपिक 'सचिन : अ बिलियन ड्रीम्स'
तक सभी कुछ बता रहे हैं. इस संबंध में हमने एसबीआई अधिकारी मुरली धर केेसरी से विस्तृत बातचीत की.
सैलरी अकाउंट हो जाता है रेगुलर सेविंग अकाउंट
नौकरी बदलने पर नए संगठन में अगर आपका नया अकाउंट खुलता है तो पुराना जीरो-बैलेंस सैलरी अकाउंट खुद-ब-खुद 3-6 महीनों में रेगुलर सेविंग अकाउंट में बदल जाता है. इसके साथ ही मिनिमम एवरेज बैलेंस मैंटेन का नियम भी लागू हो जाता है. बैलेंस मैंटेन नहीं करने पर बैंक आपसे चार्ज वसूलने लगता है. उदाहरण के लिए एसबीआई का चार्ज अभी 118 रुपए प्रति महीना है. इससे आपके अकाउंट में पड़े पैसे भी कम होते जाते हैं और कुछ समय बाद बैलेंस निगेटिव में चला जाता है. इससे बैंक के साथ आपके संबंध भी खराब हो जाते हैं.
नहीं मिलता है ब्याज
मेट्रो में सामान्य सेविंग अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस फिलहाल 5 से लेकर 10 हजार रुपए तक है. हालांकि एसबीआई ने इसे कम करे 3 हजार किया है, जो एक अक्टूबर से लागू है. जबकि प्राइवेट बैंक की मिनिमम बैलेंस सीमा 10 हजार रुपए है. अगर आपके पास 3-4 अकाउंट्स हैं तो उनमें कुल मिलाकर 30 से 40 हजार रुपए रखने होंगे. इस पैसे पर आपको महज 4 फीसदी ब्याज मिलता है. वहीं इस पैसे को अगर आप एफडी या म्यूचुअल फंड्स में लगाते हैं तो आपको 12 फीसदी तक या उससे भी अधिक रिटर्न मिल सकता था.
सर्विस चार्ज के रूप में चुकाते हैं काफी पैसे
आपके पास जितने बैंक अकाउंट्स होंगे, उतने डेबिट कार्ड भी होंगे. ख्याल रखें कि ये कार्ड्स नि:शुल्क नहीं होते हैं. बैंक सामान्य तौर पर सालाना आपसे 200-500 रुपए और उस पर टैक्स लेते हैं. सवाल उठता है कि आखिर आपको उन कार्ड्स के लिए क्यों फीस चुकानी चाहिए, जिनका आप उपयोग नहीं करते हैं. बैंक आपसे एसएमएस अलर्ट सर्विस की भी फीस लेते हैं.
इसे भी पढ़ें :- ये कारें. बिना पेट्रोल-डीजल के चलती हैं
आईटीआर के समय कन्फ्यूजन
आईटीआर फाइल करते समय अधिक अकाउंट होने से भारी माथापच्ची करनी पड़ती है. सभी के स्टेटमेंट्स और आंकड़े आपको देने पड़ते हैं, जबकि इनसे आपको शायद ही कोई लाभ होता है.
लोन लेने में होगी दिक्कत
केसरी के अनुसार, अकाउंट बंद नहीं कराने पर फिर से उसे उस बैंक में अकाउंट खुलवाने में दिक्कत होती है. इतना ही नहीं बैंक लोन देने वक्त भी संदेह की नजर से देखने लगता है. हालांकि आपके सिविल पर इसका खास असर नहीं होता है. इन सबके अलावा फ्रॉड करने वाले आपके बेकार पड़े बैंक अकाउंट्स का गलत उपयोग भी कर सकते हैं.
दो साल के बाद बैंक आपके अकाउंट को इन-ऑपरेटिव घोषित कर देते हैं. इसका मतलब है कि अब आप पैसे तो इसमें जमा कर सकते हैं, लेकिन निकाल नहीं सकते. अगर आप इसे रिवाइव करना चाहते हैं तो आपको केवाईसी अपडेट करनी होगी. और अगर बंद करना चाहते हैं तो आपको अपने बैंक ब्रांच जाकर अप्लीकेशन के साथ ही एटीएम, चेक बुक और पासबुक सभी कुछ जमा करने होंगे. वैसे अगर आप अभी भी अकाउंट बंद नहीं कराते हैं तो बैंक 7 साल इंतजार करने के बाद इसे बंद कर देगा.
No comments:
Post a Comment