बावड़ी से आ रही थी डरावनी आवाज, भीतर झांका तो दंग रह गए लोग
पाली के एक गांव में बावड़ी में एक ऊंट गिर गया। ऊंट तीन दिन तक बावड़ी में ही रहा। ऊंट जोर-जोर से आवाज निकालता रहा। ग्रामीण आवाज सुनते रहे, लेकिन डर के कारण कोई भी बावड़ी पर नहीं गया।
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फिर हिम्मत कर ग्रामीण बावड़ी पर गए। वहां देखा तो एक ऊंट बावड़ी में गिरा हुआ था।
बांता-भिमालियागांव के सरहद पर 'चोरों की वेरी' (बावड़ी) के नाम से प्रसिद्ध बावड़ी में गत मंगलवार को एक ऊंट गिर गया। तब आस-पास वहां कोई भी नहीं था।
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बावड़ी में पानी कम था सो ऊंट को ज्यादा चोट नहीं लगी और वह डूबा भी नहीं।
ऊंट दो दिन तक लगातार आवाज देता रहा, लेकिन बावड़ी से बाहर आ रही अजीब से आवाज से ग्रामीण डर गए।
अास-पास खेतों में काम करने वाले ग्रामीणों को बावड़ी से आवाज आ रही थी, परंतु अजीब सी आवाज समझकर वे डर के मारे उसके पास नहीं जा रहे थे।
फिर शुक्रवार को ग्रामीण एकत्र होकर बावड़ी पर गए तो देखा उसमें एक ऊंट था।
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फिर उन्होंने उसे बाहर निकालने की तैयारी की। बावड़ी काफी गहरी थी। रेलवे लाइन पर कार्य कर रही एलएंडटी की क्रेन बुलाई गई।
क्रेन तो आ गई पर डर के कारण कोई भी बावड़ी में उतरने को तैयार नहीं था। एक तो ऊंट हमला कर सकता था दूसरा बावड़ी से बुरी बदबू आ रही थी। तभी एक वृद्ध वागाराम देवासी (75) ने बावडी में उतरने को फैसल किया। वृद्ध के साहस को देखकर सवाडीया गांव से आया कुपाराम देवासी भी बावड़ी में उतरा।
दोनों ने बड़ी मुश्कील से ऊंट को दो हिस्सों में पेट से रस्सी बांधी। इस दौरान ऊंट ने उन पर हमला नहीं किया और ग्रामीणों को पूरा सहयोग किया। ग्रामीणों ने ऊंट को रस्सी से बांध दिया और इशारा पाते ही क्रेन ने ऊंट को बावड़ी से निकाल लिया।
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