खतरनाक जंगलों में खतरों का इस तरह सामना करते हैं गुरिल्ला कमांडोज
वो नाश्ते में बिच्छू चबा जाते हैं और लंच में कोबरा सांप खा जाते हैं. वो बम्बू में चावल-दाल पकाते हैं और पेड़ की पत्तियों से भी अपना पेट भर लेते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि हम किसी ट्राइबल या जंगली इंसान की बात कर रहे हैं तो आप गलत हैं.
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हम बात कर रहे हैं हिंदुस्तान की उस भवानी सेना की, जिसका साहस और सलीका देखकर दुश्मन की भी रूह कांप जाती है.
हिंद की भवानी सेना जो खतरनाक जंगलों में जान हथेली पर लेकर दिन रात डटी रहती है. मुश्किल से मुश्किल हालात में भी मुकाबले से पीछे नहीं हटती और और किसी भी खतरे की जरा सी आहट मिलते ही दुश्मन पर यमराज बनकर टूट पड़ती है.
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जानलेवा जंगलों में हमारी सेना गोलियों और बमों की गूंज के बीच टारगेट को पलक झपकते ही तबाह करती है और कदम-कदम पर मौजूद जानलेवा खतरों से निपटती रहती है. भूख लगने पर ये जवान सांप-बिच्छू तक खा जाती है. जहरीले से जहरीले जीव-जंतुओं को भी ये आसानी से हलक के नीचे उतार लेते हैं.
गुरिल्ला कमांडोज किसी भी हद तक जा सकते हैं. आस-पास मौजूद किसी भी चीज को अपना आहार बना सकते हैं. कमांडोज पेड़ की पत्तियां चबाकर अपना पेट भरते हैं. बांस की बल्लियों से पीने के लिए पानी निकालते हैं और गीली जमीन पर भी अपनी मेहनत और लगन से शोले पैदा कर देते हैं.
दिल्ली से करीब दो हजार किलोमीटर दूर नॉर्थ ईस्ट के जंगल जहां इंसान के लिए रहना तो दूर वहां जाना भी कम जानलेवा नहीं. ऐसे खतरनाक जंगल में पल-पल खतरों का सामना हमारे गुरिल्ला कमांडोज करते हैं. गुरिल्ला कमांडोज सिर्फ नॉनवेज ही नहीं बल्कि चावल-दाल जैसा शाकाहारी खाना बनाना भी बखूबी जानते हैं. इन्हें पता है कि बिना किसी संसाधन के भी आपात स्थिति में खुद को कैसे जिंदा रखना है.
अगर इन जवानों को खाने के लिए न तो शिकार मिले और न ही राशन फिर क्या होगा. कैसे चलेगी इनकी जिंदगी. लेकिन जंगल में कदम कदम पर खतरा है
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तो पग पग पर इनके सर्वाइवल का साधन भी मौजूद है. कुछ न मिला तो ये जवान इन पेड़-पौधों और पत्तियों से ही अपना पेट भर लेते हैं पर ये हरी भरी पत्तियां भी जवानों के लिए जहर साबित हो सकती हैं. इसलिए बहुत जरूरी है ये पहचान करना कि कौन सा पेड़ अमृत है और कौन सा जहर.
इन घने जंगलों में गुरिल्ला कमांडोज को सिर्फ दुश्मन से ही नहीं सिचुएशन से भी लड़ना पड़ता है. खतरा सिर्फ हथियारबंद हमले और बारूदी धमाकों का ही नहीं है. यहां की हवा में भी जहर हो सकता है. पानी में भी प्वॉयजन हो सकता है. हो सकता हैकि जवानों की जान लेने के लिए दुश्मनों ने यहां मौजूद नदी नालों में जहर मिला दिया हो.. ऐसे में ये जवान कैसे अपनी प्यास बुझाते हैं.
बम्बुओं से भी हमेशा पानी निकालना कम खतरनाक नहीं खासकर रात के वक्त क्योंकि घात लगाकर बैठा दुश्मन मौका मिलते ही जानलेवा वार कर सकता है लेकिन ये कमांडोज पानी हासिल करने का दूसरा जरिया भी जानते हैं.
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