कैसे हुई 'अप्रैल फूल-डे' मनाने की शुरुआत, कहानी है काफी रोचक
हर साल 1 अप्रैल को बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी एक दूसरे को बेवकूफ बनाने में लग जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1 अप्रैल को ही क्यों अप्रैल फूल डे मनाया जाता है।
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बता दें कि अप्रैल फूल डे की शुरुआत फ्रांस से हुई थी। पॉप ग्रेगरी 13 ने वर्ष 1582 में हर यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलने को कहा था।
मालूम हो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल नहीं बल्कि 1 जनवरी से शुरू होता है। कई लोगों ने इसे मानने से इनकार तो कई लोगों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी इस कारण वह नया साल 1 अप्रैल को ही मनाते थे।
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इस वजह से जो लोग जनवरी में नया साल मनाते थे वो अप्रैल में नया साल मनाने वालों को अप्रैल फूल कहने लगे। लोग प्रैंक कर के एक-दूसरे को बेवकूफ बनाने लगे और धीरे-धीरे कर के ये प्रथा पूरे यूरोप में फैस गई।
बता दें कि पूरी दुनिया इस दिन को मनाती है। जापान और जर्मनी में पूरे दिन लोग प्रैंक करते है तो वहीं स्कॉटलैंड में इसे लगतार दो दिनों तक मनाया जाता है। फ्रांस में इसे फिश डे कहा जाता है, इस दिन बच्चे कागज की बनी मछली एक दूसरे के पीठ पर चिपका कर अप्रैल के इस दिन को मनाते हैं।
1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा। नए वित्त वर्ष में नए नियम भी लागू होंगे। भारत का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) भी अपने कुछ नियम में बदलाव कर रहा है।
बता दें कि पहले अकाउंट बैलेंस मेंटेन ना करने पर भारी पेनल्टी देने पड़ती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अलग-अलग वर्ग को अलग-अलग तरीके की राहत मिली है।
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मेट्रो और शहरी इलाकों में मौजूदा पेनल्टी 50 रुपये और नई पेनल्टी होगी 15 रुपये। छोटे शहरों में मौजूदा पेनल्टी 40 रुपए है जिसे घटाकर 12 रुपए कर दिया है। और ग्रामीण इलाकों में मौजूदा पेनल्टी है 40 रुपए जिसे बदल कर 10 रुपए किया गया है।








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