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Thursday, November 23, 2017

विवाह पंचमीः जानें, सीता राम के विवाह की खास बातें

 विवाह पंचमीः जानें, सीता राम के विवाह की खास बातें


भगवान राम और देवी सीता का विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को हुआ था। इस तिथि को शास्त्रों में विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष विवाह पंचमी 23 नवंबर गुरुवार के दिन है। 












बाल्मिकी रामायण के अनुसार देवी सीता और राम जी का जब विवाह हुआ था उस समय भगवान राम 13 वर्ष के थे और देवी सीता की उम्र 6 साल थी। 







विवाह के बाद देवी सीता अपने पिता के घर जनक जी के यहां 12 वर्ष की आयु तक रही थीं। 










इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है 


नेपाल के जनकपुर शहर में आज भी विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं जहां देवी सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं 





जिनसे दुलहन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। 







विवाह पंचमी अबूझ मुहूर्त 


भगवान राम और देवी सीता के विवाह की एक और खास बात यह रही कि इनकी कुंडली में पूरे 36 गुण मिले थे। शास्त्रों में विवाह पंचमी को शादी के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है। जिन लोगों के विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा होता है वह बिना पंचांग देखे भी इस दिन विवाह कर सकते हैं। 







वैवाहिक जीवन के सुख के लिए करें ये पाठ 



विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और देवी सीता की पूजा वैवाहिक जीवन की खुशियों में वृद्धि करने वाला माना गया है। 







इस अवसर पर रामचरित मानस के बालकांड और विवाह प्रसंग का पाठ पारिवारिक जीवन के लिए अच्छा माना गया है। 









इससे विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। 






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हफ्ते भर में गायब हो जाएंगे अनचाहें मस्से, करें ये असरदार उपचार

 हफ्ते भर में गायब हो जाएंगे अनचाहें मस्से, करें ये असरदार उपचार


चेहरे पर एक से ज्यादा वार्ट्स यानी मस्सा दिखाई देने पर खूबसूरती कम लगने लगती है. 












वैसे तो वार्ट्स शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते है







लेकिन चेहरे पर होने वाले वार्ट्स भद्दे लगने लगते है. इनसे छुटकारा पाने के लिए लोग न जाने क्या कुछ नहीं करते. अगर आप भी वार्ट्स से परेशान है













तो इन घरेलू तरीकों से आप इनसे हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है.






 विटामिन E



रोजाना दिन में दो बार विटामिन E ऑयल में अदरक मिलाकर मस्से पर लगाएं. इससे 1-2 हफ्तों में ही आपके अनचाहें मस्से गायब हो जाएंगे.











सूखे अंजीर का रस


दिन में 4 बार रोजाना इसे चेहरे पर लगाएं और कुछ देर बार ठंडे पानी से चेहरा धो लें. इसमें मौजूद क्षारीय एसिड से आपके मस्सों से छुटकारा मिल जाएगा.







सूखी मेथी


रात को मेथी के दानों को पानी में भिगो कर रखें. सुबह नाश्ते से पहले इस पानी का सेवन करें. इससे आपके मस्से भी दूर हो जाएगे और आप हेल्दी भी रहेंगे.











अरंडी का तेल



अरेडी के तेल में हल्का सा बैंकिंग सोडा मिला कर पेस्ट बनाकर मस्से पर लगाएं. 2-3 हफ्तों तक इसका नियमित इस्तेमाल करने से आपके मस्से दूर हो जाएंगे.










ओरेगानो ऑयल



ओरेगानो ऑयल और कोकोनेट ऑयल को मिक्स करके रोजाना मस्से पर लगाएं. इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लामेटरी और एंटी ओकडएटिव गुण से कुछ ही दिनों में आपके मस्से झड़ जाएंगे.











 एप्पल सिरका




कॉटन से एप्पल सिरके को मस्से वाले हिस्से पर 15 मिनट के लिए लगा लें. रोजाना इसके इस्तेमाल से कुछ ही हफ्तों में आपके मस्से झड़ जाएगें.






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Tuesday, November 21, 2017

दुनिया के सबसे मोटे बच्चे को स्कूल जाने के लिए करना पड़ा ये काम

 दुनिया के सबसे मोटे बच्चे को स्कूल जाने के लिए करना पड़ा ये काम




दुनिया के सबसे मोटे बच्चे के तौर पर मशहूर आर्य परमाना ने अपना वजन कम कर लिया है। 













महज दस साल की उम्र में ही 192 किलो वजन की वजह से परेशान 'आर्य' इंडोनेशिया के रहने वाले है।







आर्य का वजन इतना ज्यादा हो गया था कि वो दो कदम भी चल नहीं पाता था। इसी कारण उसे स्कूल भी छोड़ना पड़ा। मोटापे की वजह से उसे हर समय थकान महसूस होती थी। 













वह सिर्फ खाता और सोता था। 








आर्य के ज्यादा खाने की आदत और मोटापे की वजह से आलम कुछ ऐसा था कि लोग उसे देखने उसके घर तक आने लगे थे।












अपने बेटे के मोटापे को देखते हुए आर्य के माता-पिता ने उसे क्रैश डाइट पर रख दिया था। 





यहां तक की मोटापे की वजह से उसके माता-पिता उसे केवल ब्राउन राइस ही खाने को देते थे। 












बढ़ते वजन से परेशान आर्य के माता-पिता ने उसकी बेरिएट्रिक सर्जरी करवा दी। इस सर्जरी से आर्य को वेट लॉस में मदद मिली। फिलहाल आर्य का वजन 20 किलो तक कम हो गया है। जल्द ही हम आर्य को दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाते हुए देख पाएंगे।







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Monday, November 20, 2017

राजस्थान में अन्नपूर्णा रसोई, 5 रुपये में नाश्ता और 8 रुपये में लंच-डिनर

राजस्थान में अन्नपूर्णा रसोई, 5 रुपये में नाश्ता और 8 रुपये में लंच-डिनर


राजस्थान सरकार आम नागरिकों को सस्ती एवं रियायती दरों पर अच्छी गुणवत्ता का पौष्टिक एवं स्वच्छ आहार उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू करेगी.











इस योजना के तहत खास तौर पर श्रमिक, रिक्शावाला, ऑटोवाला, कर्मचारी, विद्यार्थी, कामकाजी महिलाओं, बुजुर्ग एवं अन्य असहाय व्यक्तियों को मात्र 5 रुपये प्रति प्लेट में नाश्ता तथा मात्र 8 रुपये प्रति प्लेट में दोपहर का भोजन और रात्रि का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.






क सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, सबके लिए भोजन,










 सबके लिए सम्मान मिशन के साथ अन्नपूर्णा रसोई योजना प्रथम चरण में 12 शहरों में शुरू की जाएगी.






इनमें राजधानी जयपुर सहित जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर एवं भरतपुर और प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा,









बारां तथा झालावाड़ में 80 वाहनों के माध्यम से तीन समय का भोजन शासन विभाग या संबंधित नगरीय निकाय द्वारा चिहिन्त किए










गए स्थान पर मुहैया किया जाएगा.

















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Sunday, November 19, 2017

यहां है देवी की चमत्कारी मूर्ति जिससे जुड़े हैं कई रोचक तथ्य

 यहां है देवी की चमत्कारी मूर्ति जिससे जुड़े हैं कई रोचक तथ्य


शिला देवी मंदिर, हिंदूओं की देवी काली को समर्पित है। यह मंदिर मंदिर राजस्थान में आमेर के महल में स्थित है।













कहते हैं राजा मान सिंह काली माता के भक्‍त थे। वह इस मूर्ति को बंगाल से लेकर आए थे। 









इस मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है। 










मान्यता है देवी काली अम्‍बेर किले की रक्षक है।







शिला देवी जयपुर के कछवाहा वंशीय राजाओं की कुल देवी रही हैं। किंवदंतियों के अनुसार मंदिर में 1972 तक पशु बलि दी जाती थी,









लेकिन जैन धर्मावलंबियों के विरोध के चलते यह बंद कर दी गई। इस मंदिर में शिला देवी की मूर्ति के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं।






एक अन्य किंवदंती के अनुसार राजा मानसिंह ने राजा केदार की कन्या से विवाह किया और देवी की प्रतिमा को भेंट स्वरूप प्राप्त किया। लेकिन यह निश्चित है












कि वर्तमान मूर्ति समुद्र में पड़े हुए एक शिलाखण्ड से निर्मित है और यही कारण है कि मूर्ति का नाम शिला देवी है।








तो वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार मां की मूर्ति समुद्र में पड़ी हुई थी और राजा मानसिंह इसे समुद्र में से निकालकर लाये थे। 








मूर्ति शिला के रूप में ही थी और काले रंग की थी। राजा मानसिंह ने इसे आमेर लाकर विग्रह शिल्पांकित करवारकर प्रतिष्ठित करवा दिया था।




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